CM योगी आदित्यनाथ के अब्बाजान के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी का तंज, काम करते तो चिल्लाना न पड़ता

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के सौ से अधिक प्रत्याशी उतारने की तैयारी में लगे हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब्बाजान के बयान पर तंज कसा है। ओवैसी ने रविवार के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर कहा कि इन्होंने तो उत्तर प्रदेश में कुछ भी काम नहीं किया है। अगर कुछ काम करते तो फिर इनको आज इनको प्रदेश में अब्बाजान-अब्बाजान ना चिल्लाना पड़ता।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के कुशीनगर में बयान पर तंज कसा है। असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया है। ओवैसी से योगी आदित्यनाथ से कहा कि अगर काम किए होते तो अब्बा, अब्बा चिल्लाना नहीं पड़ता। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की आहट से ही अब तुष्टिकरण की राजनीति शुरू हो गई है। कुशीनगर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अब्बा जान वाले बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने की तैयारी में लगे ओवैसी ने एक के बाद एक तीन ट्वीट करके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा और कहा कि अगर काम किए होते तो अब्बा, अब्बा चिल्लाना नहीं पड़ता।

असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान पर अपने ट्वीट में कहा कि कैसा तुष्टिकरण। प्रदेश के मुसलमानों की साक्षरता-दर सबसे कम है, मुस्लिम बच्चों का ड्रॉपआउड सबसे ज़्यादा है। मुस्लिम इलाकों में स्कूल-कॉलेज नहीं खोले जाते। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए केन्द्र सरकार से बाबा की सरकार को 16,207 लाख मिले थे, बाबा ने सिर्फ 1602 लाख रुपये खर्च किया। 2017-18 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत मात्र दस मुसलमानों को घर मिले। अब अब्बा के बहाने किसके वोटों का पुष्टिकरण हो रहा है बाबा। देश के 9 लाख बच्चे गंभीर तौर पर कुपोषित हैं, जिसमें से 4 लाख बच्चे सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कुशीनगर में कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि पीएम मोदी के नेतृत्व में तुष्टिकरण की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। क्या 2017 से पहले सभी को राशन मिलता था। अब्बा जान कहने वाले ही राशन हजम कर जाते थे।