सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- साढ़े चार वर्षों में उत्तर प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में बनाया नया रिकार्ड

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लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने में हम निश्चित सफल होंगे। विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसान का कल्याण सरकार का लक्ष्य रहा है। समुचित भोजन और पोषण वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती है। कोरोना महामारी काल में भी हमारे अन्नदाता किसानों ने अन्न और सब्जियां आमजन को सुनिश्चित कराई है। उन्होंने कहा कि विगत साढ़े चार वर्षों में उत्तर प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकार्ड बनाया है। वर्ष 2012 से 2017 के बीच प्रति वर्ष 139 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले अब 163.45 लाख 139 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष खाद्यान्ना उत्पादन हो गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को किसानों की आय बढ़ाने के संबंध में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद में प्रदेश में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में 31 लाख 88 हजार किसानों को 37 हजार 885 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इस वर्ष भी खरीफ की फसल अच्छी होने की संभावना है। धान खरीद की सभी तैयारियां प्रदेश में पूरी हो चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि खरीफ फसलों की बोआई के वक्त डीएपी उर्वरक की अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमत बढ़ने के कारण प्रति बोरी कीमत 2400 रुपये हो गई थी। हम आभारी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जिन्होंने अनुदान को बढ़ाकर 500 रुपये प्रति बोरी से 1200 रुपये कर दिया। इससे किसानों को पहले की तरह 1200 रुपये प्रति बोरी की दर से पर्याप्त मात्रा में डीएपी उर्वरक मिल रही है। केंद्र सरकार के इस जनहितकारी कदम से किसानों को बड़ी राहत मिली है। केंद्र सरकार के समन्वय से पर्याप्त मात्रा में खाद मिल रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सरकार ने गन्ना किसानों के हित में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गन्ना किसानों को वर्ष 2012 से 2017 के बीच मात्र 95 हजार करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का भुगतान हो सका था। वहीं वर्तमान सरकार ने 45 लाख 74 हजार गन्ना किसानों को एक लाख 42 हजार 366 करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है।