उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का आज जन्मदिन

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का आज 52वां जन्मदिन है। शुक्रवार छह मई को वैवाहिक वर्षगांठ मनाने वाले केशव प्रसाद मौर्य को भारतीय जनता पार्टी में ओबीसी यानी पिछड़ा वर्ग का मजबूत नेता माना जाता है। अपने गृह जनपद कौशांबी की सिराथू विधानसभा के चुनाव हारने के बाद लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बनाए गए केशव प्रसाद मौर्य ने 2012 में ही सिराथू से विधानसभा का चुनाव जीतकर इलाहाबाद मंडल के इकलौते भाजपा विधायक होने का गौरव भी प्राप्त किया था। इसके बाद वह 2014 में प्रयागराज के फूलपुर से भारतीय जनता पार्टी के पहले लोकसभा सदस्य भी बने।

उत्तर प्रदेश की सियासत में केशव मौर्य के कद का दूसरा ओबीसी नेता नहीं है। शायद यही वजह है कि इस बार विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी भाजपा ने उनको फिर सम्मानित पद दिया है। केशव प्रसाद मौर्य का सात मई 1969 को कौशांबी के सिराथू में जन्म हुआ था। वह आज अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की सियासत में भाजपा का एक ऐसा चेहरे बन गए हैं जिन्हें नजरअंदाज कर पाना अब पार्टी के लिए भी आसान नहीं है।

केशव प्रसाद मौर्य का लगातार कद बढ़ा रही भाजपा : केशव प्रसाद मौर्य भाजपा के लिए पिछड़ों के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं। इसी कारण पार्टी उन पर भरोसा भी करती है। केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश में मौर्य और कुशवाहा वोटर्स को साधने के लिए भी पार्टी ने उन्हें ही जिम्मेदारी दी। गैर यादव वोटर्स को एकजुट करने में भी केशव मौर्य का अहम योगदान माना जाता है। राज्य के कुल वोटर्स में ओबीसी मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 45 फीसदी है। ऐसा माना जाता है कि यादव वोटरों का एक बड़ा हिस्सा सपा समर्थक है। यह यूपी की सबसे प्रभावशाली ओबीसी जाति भी है। ओबीसी राजनीति को साधने के लिए भाजपा लगातार केशव प्रसाद मौर्य का कद बढ़ा रही है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क : केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आने के बाद विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भाजपा में करीब 18 वर्ष तक प्रचारक रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने श्रीराम जन्म भूमि और गोरक्षा व हिन्दू हित के लिए अनेकों आन्दोलन किया और इसके लिए जेल भी गये। विश्व हिंदू परिषद से जुड़े केशव प्रसाद मौर्य सक्रिय रूप से राजनीति में वर्ष 2000 में आए थे। केशव प्रसाद मौर्य के राजनीतिक गुरू स्वर्गीय अशोक सिंहल थे। 2002 में राजनाथ सरकार के दौरान केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन के लिए काम किया। उन्होंने संगठन को खड़ा करने के लिए जी-जान लगा दिया।

माफिया अतीक अहमद के खिलाफ चुनाव लड़े : सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से हुई जब वह 2002 में माफिया अतीक अहमद के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर चुनाव लड़े। सात हजार मत पाकर वह चौथे स्थान पर रहे। उसके बाद 2007 का चुनाव भी इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा से ही लड़े। इस बार भी उनको जीत नहीं मिली। केशव प्रसाद मौर्य ने 2012 का विधानसभा चुनाव में गृह जनपद कौशांबी के सिराथू से लड़ा और पहली बार विधायक चुने गए। छह मार्च 2012 को वह पहली बार विधायक चुने गए। इतना ही नहीं वह इलाहाबाद मंडल के चारों जिलों इलाहाबाद, कौशांबी, प्रतापगढ़ व फतेहपुर से इकलौते भाजपा विधायक चुने गए थे। 2013 इलाहाबाद के केपी कालेज में वह ईसाई धर्मप्रचारक के आगमन के विरोध का नेतृत्व करते हुए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध हुए। भारतीय जनता पार्टी ने उनको 2014 का लोकसभा चुनाव फूलपुर से लड़ाया। वह तीन लाख से अधिक वोट से जीते और फूलपुर से भाजपा के पहले सांसद होने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने यहां समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल को पराजित किया। यह कांग्रेस का गढ़ था यहां से भाजपा ने पहली बार जीत का स्वाद चखा था। इसके बाद उनका कद बढ़ता चला गया।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष : 2014 से 2016 तक केशव प्रसाद मौर्य सांसद के तौर पर सेवाएं देते रहे। 16 अप्रैल 2016 को उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। 14 वर्ष सूबे की सत्ता से बाहर रही भारतीय जनता ने शानदार प्रदर्शन किया और 2017 के विधानसभा चुनावों में पहली बार इतिहास रचा। 11 मार्च को नतीजे आए और भाजपा को 325 सीटें मिली थीं। उनके ही नेतृत्व में भाजपा ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री की शपथ ली।

केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा की प्रदेश इकाई के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर जाना जाता है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 मे केशव प्रसाद मौर्य को समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार पल्लवी पटेल ने छह हजार से ज्यादा वोटों से पराजित किया। इसके बाद भी भाजपा ने एक बार फिर उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार में उप मुख्यमंत्री बनाया हैं। पहले उनके पास लोक निर्माण विभाग था, इस बार उनको ग्राम विकास एवं समग्र विकास, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का प्रभार दिया गया है। इससे पहले इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी के रूप में जो उपहार मिला, उसमें भी इन्होने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।