भोपाल में विधायक पड़े भारी और इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय

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भोपाल । भोपाल से महापौर प्रत्याशी मालती राय को टिकट भाजपा विधायकों की लामबंदी से मिला। नरेला विधायक और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने सबसे पहले दो बार पार्षद रहीं मालती राय का नाम आगे बढ़ाया और गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर ने भी समर्थन कर दिया। बाद में हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा भी राय के नाम पर सहमत हो गए। विधायकों ने मालती राय को चुनाव जितवाने की शर्त पर टिकट दिलाया है। अधिकांश प्रत्याशियों के चयन को लेकर जद्दोजहद भले ही काफी हुई हो पर पार्टी सहमति बनाने में सफल रही है।

इंदौर के प्रत्याशी के लिए हुई रायशुमारी में सभी ने एकमत से ओबीसी को प्रत्याशी नहीं बनाने की अपील की थी। अंत में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की सहमति के बाद पुष्यमित्र भार्गव का नाम लगभग तय माना जा रहा है। इधर ग्वालियर में दिग्गजों के नाम पर सहमति बनाने में भाजपा संगठन को पसीने छूट गए। दरअसल, भोपाल में गोविंदपुरा विधायक कृष्णा गौर महापौर की सशक्त दावेदार कही जा रही थीं लेकिन विधायकों को टिकट न देने की गाइडलाइन के चलते उनका नाम कट गया। वे खुद भी चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं थीं।

उन्हें गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र उनके हाथ से निकल जाने का डर भी था। पिछड़ा वर्ग महिला (ओबीसी) के लिए आरक्षित भोपाल महापौर के लिए भाजपा में दावेदार कम थे लेकिन विधायकों ने संगठन पर ऐसा दबाव बनाया कि पार्टी ने भी विधायकों के सामने सरेंडर कर दिया।

गुट विशेष को ज्यादा महत्व नहीं

भाजपा में इस बार नगरीय निकाय चुनाव में गुट विशेष को खास महत्व नहीं मिला। भोपाल प्रत्याशी सहित ज्यादातर प्रत्याशी या तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े हैं या कार्यकर्ता हैं। मुरैना, जबलपुर, सतना, उज्जैन, छिंदवाड़ा के प्रत्याशियों का सीधा संघ से संपर्क रहा है या उनके परिजनों के कारण उन्हें चुना गया है। सागर प्रत्याशी के लिए नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह, रीवा से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल और कटनी से पूर्व मंत्री संजय पाठक व देवास से विधायक गायत्री राजे पंवार के समर्थकों को प्रत्याशी बनाया।

नेताओं ने कहा- इंदौर से पिछड़ा वर्ग का प्रत्याशी नहीं चाहिए

इधर, इंदौर में टिकट के लिए सहमति न बन पाने के कारण भाजपा संगठन ने सांसद शंकर लालवानी, जिलाध्यक्ष गौरव रणदिवे, विधायक और पूर्व विधायकों सहित तमाम नेताओं को भोपाल बुला लिया था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद ने इनसे एक-एक करके बात की। इसमें ज्यादातर ने कहा कि उन्हें पिछड़ा वर्ग का प्रत्याशी नहीं चाहिए। डा. निशांत खरे के नाम को लेकर भी अधिकांश ने असहमति जताई। देर शाम फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में भाजपा के दिग्गज नेताओं की बैठक हुई। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से बात की गई। उनके सामने डा. खरे और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पमित्र भार्गव के नाम का विकल्प रखा गया। सूत्रों के मुताबिक विजयवर्गीय ने भार्गव के नाम सहमति जताई है।