अल्‍पसंख्‍यक स्‍कूलों को आरटीई के दायरे में लाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजेगी राज्य सरकार

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भोपाल। प्रदेश में 700 से अधिक सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) स्कूलों ने अल्पसंख्यक संस्थान के नाम पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीई) से छूट पा रखी है। यह छूट संचालक मंडल में अल्पसंख्यक सदस्यों को शामिल करके प्राप्त की जाती है, जबकि ऐसे संस्थानों में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थी बहुसंख्यक होते हैं। छूट के चलते यह स्कूल कमजोर वर्ग के बच्चों को 25 प्रतिशत सीट निश्शुल्क उपलब्ध करवाने के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। ऐसे स्कूलों को आरटीई के दायरे में लाने के लिए राज्य सरकार आरटीई नियम में संशोधन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने जा रही है। यह जानकारी राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने गुरुवार को दी।

शिक्षा के अधिकार से वंचित रखने के मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसका संज्ञान लेते हुए बाल आयोग ने शिक्षा मंत्री से नियमों में संशोधन की मांग की थी। स्कूलों द्वारा की जा रही गड़बड़ी को लेकर शिक्षा मंत्री परमार ने नवदुनिया से चर्चा करते हुए कहा कि विभाग इसकी जांच करवाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्र में यूपीए की सरकार के समय कई स्कूलों ने खुद को अल्पसंख्यक घोषित करवाने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। तब पांच सदस्यीय जज की समिति ने कहा था कि यदि शैक्षणिक संस्था में अल्पसंख्यक सदस्य हैं, तो ही अल्पसंख्यक माना जाएगा। इस नियम का संस्थाओं द्वारा गलत लाभ लिया जा रहा है, इसलिए नियम में बदलाव के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। जिसमें 51 प्रतिशत अल्पसंख्यक विद्यार्थी होने की स्थिति में ही स्कूल को अल्पसंख्यक संस्था का दर्जा देने का प्रविधान करने की अनुशंसा की जाएगी।

पंजाब में 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक विद्यार्थियों का है नियम
पंजाब में अल्पसंख्यक स्कूलों को जमीन इसी शर्त पर दी जाती है कि वे अपने यहां 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाएंगे। इनकी फीस का भुगतान राज्य सरकार करती है। इसमें वहां के कुछ स्कूलों ने इस नियम का पालन नहीं किया था तो उन्हें पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय ने अल्पसंख्यक का दर्जा देने से इन्कार कर दिया था और स्कूल को अल्पसंख्यक बच्चों को प्रवेश देने के आदेश दिए थे।

बाल आयोग ने नियमों में संशोधन की मांग की है
मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पिछले दिनों स्कूल शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर आरटीई के नियमों में संशोधन की मांग की है। बाल आयोग को भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, कटनी, सतना आदि कई बड़े शहरों में निरीक्षण के दौरान पता चला कि बड़े मिशनरी स्‍कूलों सहित कई स्कूल आरटीई के तहत बच्चों की पढ़ाई नहीं करा रहे हैं। स्कूल प्रबंधक पहले भी अल्पसंख्यक संस्था का प्रमाणपत्र आयोग के सामने रखकर अपनी जिम्मेदारी से बच निकले थे।