आरोप पत्र के मसौदे पर एफआइआर रद नहीं कर सकते हाई कोर्ट : सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। एक अहम फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि आपराधिक प्रक्रिया रद करने के लिए हाई कोर्ट आरोप पत्र के उस मसौदे पर भरोसा नहीं कर सकते जिसे पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत में दाखिल नहीं किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पुराना कानून है कि हाई कोर्ट को धारा 482 के तहत अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग संयम और सावधानी से करना चाहिए।

शीर्ष अदालत का यह फैसला गुजरात हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर आया है। हाई कोर्ट ने आठ जनवरी, 2019 को राजकोट में एक भूखंड के खरीदारों से धन वसूली के आरोपित कई लोगों के खिलाफ एफआइआर को रद कर दिया था। हाई कोर्ट ने नौ में से दो आरोपितों के खिलाफ पुलिस को अभियोजन जारी रखने की अनुमति दे दी थी।

हाई कोर्ट ने पुलिस को मजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने से पहले उसका मसौदा अपने समक्ष दाखिल करने का निर्देश दिया था और उसे देखने के बाद कुछ आरोपितों के खिलाफ एफआइआर रद कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि गुजरात हाई कोर्ट ने इस मामले में अपनी सीमाओं का उल्लंघन किया है।