मोहम्मद हफीज ने किया ऐलान T-20 वर्ल्डकप के बाद लेंगे संन्यास

0
125

देश की राजधानी के हजरत निजामुद्दीन इलाके में स्थित मरकज़ में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण के चलते फैली वैश्विक महामारी के बीच बड़ी तादाद में विदेशी नागरिकों की मौजूदगी के मामले ने तूल पकड़ लिया है. इस बीच, एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि मरकज़ में एक या दो नहीं, बल्कि 16 देशों के नागरिक मौजूद थे. बता दें कि मेडिकल जांच में इनमें से कई लोगों में COVID-19 की पुष्टि भी हो चुकी है. बताया गया है कि विदेशियों के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग तब्लीगी जमात में शामिल होने के लिए निजामुद्दीन आए थे.

इन देशों के लोग हुए शामिल

निजामुद्दीन स्थित मरकज़ में नेपाल के 19, मलेशिया के 20, अफगानिस्‍तान के 1, म्‍यांमार के 33, अल्‍जीरिया के 1, जिबूती के 1, किर्गिस्‍तान के 28, इंडोनेशिया के 72, थाईलैंड के 71, श्रीलंका के 34, बांग्‍लादेश के 19, इंग्‍लैंड के 3, सिंगापुर के 1, फिजी के 4, फ्रांस के 1 और कुवैत के दो नागरिक मौजूद थे. इस मसले पर दिल्‍ली के साथ ही केंद्र सरकार ने भी सख्‍त रुख अपना लिया है. दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके जिम्‍मेदार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है. बता दें कि मरकज़ से निकाले गए लोगों को दिल्‍ली के विभिन्‍न अस्‍पतालों में भर्ती करवाया गया है.

मरकज की ओर से दी गई सफाई

इधर, मामले में मरकज की ओर से इसको लेकर बयान दिया गया है. इसमें कहा गया है कि 24 मार्च से लगातार हम पुलिस और प्रशासन के संपर्क में हैं. मरकज से लोगों को बाहर निकालने के लिए कर्फ्यू पास की मांग कर रहे थे. 28 मार्च को एसडीएम और डब्ल्यूएचओ की टीम कुछ लोगों को जांच के लिए भी ले गई थी. इससे पहले 6 लोगों को तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था. हालांकि, इसके बाद भी हमने दिल्ली और उसके आसपास रहने वाले 1500 लोगों को उनके घर भेज दिया था.

कांग्रेस ने उठाया सवाल

निजामुद्दीन मरकज में हजार से ज्यादा लोगों के शामिल होने के मामले में कांग्रेस ने दिल्ली पुलिस के रवैये पर सवाल उठाया है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में तब्लीगी जमात पर भी निशाना साधा है. राशिद अल्वी ने कहा कि तब्लीगी जमात का ये कदम बहुत नासमझी भरा था. जब पूरी दुनिया ऐसी बीमारी से लड़ रही थी, जो मुल्क के लिए खतरा बनी हुई है, ऐसे में धार्मिक नेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे बाकी लोगों को समझाएंगे न कि ये कि खुद नासमझी करें. जहां तक इनपर FIR का सवाल है, ये फैसला मैं दिल्ली सरकार पर छोड़ता हूं.

अल्वी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भी इस मामले में गैर ज़िम्मेदारी का सबूत दिया है. इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते रहे और पुलिस को पता नहीं चला? 50 कदम पर निज़ामुद्दीन का थाना है, क्यों नहीं वक़्त रहते कदम उठाया?