पाकिस्तान की ओर से भारत के लिए नित नए पहल किए जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही बंटवारे के दौरान बंद किए गए ऐतिहासिक मंदिर को खोला गया था और अब भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए यहां के पंजाब प्रांत स्थित गुरुद्वारे को भी खोल दिया गया है। 1947 से बंद पड़े गुरुद्वारा चौवा साहिब को श्रद्धालुओं के लिए शुक्रवार को खोला गया। इस फैसले को लेने में पाकिस्तान ने 72 साल लगा दिए।
पंजाब के झेलम शहर के पास रोहतास किले के उत्तरी किनारे पर 19वीं सदी का ऐतिहासिक गुरुद्वारा स्थित है। महाराजा रणजीत सिंह ने 1834 में इस गुरुद्वारे का निर्माण कराया था। 185 साल पुराने इस गुरुद्वारे के पुर्ननिर्माण में लाखों रुपये खर्च होंगे जिसे निष्क्रांत ट्रस्ट संपत्ति बोर्ड (ईटीपीबी) जल्द ही शुरू कराएगा। ऐसा माना जाता है कि अपनी यात्रा के दौरान गुरु नानक देव ने यहीं पानी का एक झरना बनवाया था जिसे ‘उदासी’ के नाम से जानते हैं। कहा जाता है कि 1521 में गर्मी के मौसम में गुरु नानकजी और भाई मर्दाना यहां से गुजर रहे थे तभी भाई मर्दाना को प्यास लगी और गुरु नानकजी ने अपने कमंडल से धरती पर चोट की और एक पत्थर हटाते ही झरना फूट पड़ा। यह झरना अब भी यहां मौजूद है। कहते हैं महराजा रणजीत सिंह यहीं का पानी पीते थे उनके लिए यह पानी लाहौर तक ले जाया जाता था।
कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान सरकार ने सियालकोट स्थित शवाला तेजा सिंह मंदिर को दोबारा खोल दिया। इसी तरह सियालकोट में 500 साल पुराने गुरुद्वारा को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए हाल ही में खोला गया। हालांकि पहले यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के साथ यूरोप, कनाडा और अमेरिका के श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता था लेकिन भारतीय श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी।