सेहतनामा- सफर में बिगड़ती सेहत:

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मेडिकल साइंस की कई ब्रांचेज हैं। मसलन, पेट संबंधी दिक्कतें हों तो गैस्ट्रोलॉजी, नस के लिए न्यूरोलॉजी, हड्डी के लिए ऑर्थोलॉजी, मेंटल प्रॉब्लम हो तो साइकिएट्रिस्ट और जनरल हेल्थ प्रॉब्लम के लिए फंक्शनल मेडिसिन यानी जनरल फिजिशियन। अब इस फेहरिस्त में एक और नाम जुड़ चुका है- ट्रैवल मेडिसिन।

अब कहीं किसी बड़े डॉक्टर के नाम के नीचे ‘ट्रैवल मेडिसिन स्पेशलिस्ट’ लिखा दिख जाए तो आश्चर्य मत करिएगा। आप सोच रहे होंगे कि भला सफर करने वालों के लिए एक अलग मेडिकल ब्रांच बनाने की क्या जरूरत आन पड़ी।

5 में से 2 यात्री को होता डायरिया, यात्रियों के लिए बनी अलग मेडिकल ब्रांच

अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट बताती है कि एक दिन से ज्यादा वक्त के लिए लंबी यात्रा करने वाले 40% लोग ट्रैवल डायरिया से पीड़ित होते हैं। जी हां, अगर 5 लोग सफर कर रहे हैं तो पूरी आशंका है कि 2 गंभीर उल्टी-दस्त से जूझ रहे हों। राह चलते लोग चक्कर खाकर गिरते और सीधे अस्पताल में आंखें खोलते हैं, बसों में महिलाओं की प्री-मैच्योर डिलिवरी हो जाती है, कार में बैठे-बैठे खून का थक्का जम जाता है और जान तक जा सकती है।

अमेरिकन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक किसी खास हेल्थ कंडीशन जैसे डायबिटीज, थॉयराइड, हाइपरटेंशन या हार्ट हेल्थ के साथ ट्रैवल के दौरान 20 फीसदी लोग सावधानी नहीं बरतते और गंभीर हेल्थ क्राइसिस के शिकार होते हैं।

ये यात्री कोई वास्कोडिगामा या क्रिस्टोफर कोलंबस नहीं, जो दुनिया की खोज में निकले हों। ये सामान्य लोग हैं, जो कहीं घूमने, दोस्त-रिश्तेदार से मिलने या फिर बिजनेस के लिए छोटी-मोटी यात्राएं कर रहे होते हैं।

यात्रा के दौरान बीमार पड़ना और हेल्थ क्राइसिस का शिकार होना इतनी बड़ी समस्या है कि WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन को मेडिकल साइंस में ट्रैवल रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम के लिए नई ब्रांच ही बनानी पड़ी।