मुलायम सिंह ने कहा था – ‘इटावा मेरा दिल और आजमगढ़ धड़कन’, अखिलेश के इस्‍तीफे के बाद आजमगढ़ की ‘परिवार’ पर टिकी नजर

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आजमगढ़। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने आजमगढ़ संसदीय सीट से इस्तीफा जरूर दिया है लेकिन मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से विधानसभा में विपक्ष की मजबूती से भूमिका निभाते हुए यूपी की राजनीति में पूरी तरह सक्रियता रहेगी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव कहते थे कि इटावा मेरा दिल है और आजमगढ़ मेरी धड़कन। अब देखना है कि ‘धड़कन’ को बरकार रखने के लिए ‘कुनबा’ का ही कौन सा चेहरा उप चुनाव में सामने आता है। बहरहाल, विधानसभा मेें पार्टी मुखिया का जिले की सभी 10 विधानसभा सीटों के विधायकों का भरपूर साथ रहेगा, जिनके बूते 2024 की जमीन तैयार की जाएगी।

आजमगढ़ संसदीय सीट छोड़ने के बाद अब जिले की दसों विधानसभाओं पर काबिज सपा की ओर से विधानसभा में राज्य सरकार को दमदारी से विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करते हुए घेरने की रणनीति तैयार की गई है। सोमवार को जिले में आकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सभी सीटों पर जीते विधायकों से मुलाकात कर उनके मिजाज के बारे में जानकारी हासिल की थी। फूलपुर-पवई विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुण कुमार यादव को एमलएसी चुनाव में भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही सपा और भाजपा के बीच आजमगढ़ में सेंधमारी को लेकर गहमागहमी बनी हुई थी।

जिले में इस बाबत चर्चा है कि सपा मुखिया ने पिता व पुत्र की स्थिति को लेकर भी मंथन किया है और इस पर पार्टी के रुख से उनको अवगत भी करा दिया। अब सांसद पद से अचानक इस्तीफा देने के फैसले के बाद पार्टी स्तर से इस बाबत जानकारी आने से पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी मंथन करने में जुटे हुए हैं। क्योंकि अगले दो साल के बाद लोकसभा चुनाव भी होना है। ऐसे में सपा के राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से इस सीट पर किसी चर्चित चेहरे को ही उतारने की उम्मीद है।

इस लिहाज से आजमगढ़ की नजर अब संरक्षक मुलायम के कुनबे पर है कि आखिर कौन आजमगढ़ लोकसभा का नेतृत्‍व करेगा। इस लिहाज से भी आजमगढ़ जिले में सपा का मजबूत नेटवर्क होने के बाद भी अखिलेश का आजमगढ़ छोड़कर करहल लौटना यूपी की सियासत में सक्रियता का प्रबल संकेत है। विपक्ष के तौर पर अब अखिलेश मजबूती से सदन में नजर आएंगे तो पांच साल तक चुनाव की रणनीति बनाने के बाद नए सिरे से वापसी की जमीन भी पांच साल में वह तैयार करेंगे।

इस बीच रामपुर और आजमगढ़ जिले की लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में यह तय होगा कि 2024 में लोकसभा चुनाव की हवाएं किस ओर बह रही हैं। इस लिहाज से भी समाजवादी पार्टी 2024 की तैयारियों को भी यूपी में परखने जा रही है। वहीं लोकसभा उपचुनाव की घोषणा की तिथि के बाद से ही तय होगा कि आजमगढ़ से मुलायम कुनबे से कोई नुमाइंदगी करेगा या पार्टी किसी स्‍थानीय चेहरे पर दांव लगाएगी।