बेरोजगारी, महंगाई व कानून व्यवस्था के मुद्दों पर संघर्ष करेगी सपा, कल के प्रदर्शन को सफल बनाने की रणनीति तय

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को पार्टी के विधान परिषद सदस्यों के साथ समीक्षा बैठक की। वर्ष 2022 विधान सभा चुनाव की रणनीति के साथ ही पंचायत चुनाव के प्रदर्शन पर चर्चा की गई। बैठक में 15 जुलाई को होने वाले प्रदर्शन को प्रभावी ढंग से करने का फैसला लिया गया। सपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित इस बैठक में प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी शामिल हुए।

विधान परिषद सदस्यों को वर्ष 2022 में सपा की सरकार बनाने को लेकर जिम्मेदारी सौंपी गई। जातिगत व क्षेत्रवार समीकरण बैठाने के लिए पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी दी जा रही है। समीक्षा बैठक में तय किया गया कि बेरोजगारी, कानून और व्यवस्था और दलितों के साथ हो रहे अत्याचार जैसे मुद्दे पर पार्टी और मुखर होगी। बेरोजगारी, किसानों की समस्या, महंगाई, बिगड़ती कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे अहम होंगे। समाजवादी पार्टी के अनुसार ने आरक्षण खत्म किया जा रहा है, लोकतंत्र खतरे में है, इस पर पार्टी संघर्ष करेगी।

समाजवादी पार्टी ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा सरकार पर धांधली का आरोप लगाते हुए इसके विरोध में सभी तहसील मुख्यालयों पर 15 जुलाई को प्रदर्शन करेगी। इस प्रदर्शन में जन समस्याओं को भी शामिल किया गया है। प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन भी दिया जाएगा। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रदर्शन करने के निर्देश दिए हैं।

ज्ञापन में सपा बढ़ती महंगाई, नौजवानों की बेरोजगारी, बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले, हत्याओं पर रोक, किसानों को लाभकारी मूल्य देने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी सहित कई विषयों को शामिल किया गया है। गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये का बकाया भुगतान करने, किसान विरोधी कृषि कानूनों की तत्काल वापसी, डीजल-पेट्रोल-रसोई गैस, बीज, कीटनाशक दवाओं के दाम कम करने आदि की भी मांग की जाएगी।

समाजवादी पार्टी के ज्ञापन में महिला अपराधों पर रोक लगाने व सपा कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमें दर्ज न करने, कोरोना काल में सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच कराने, मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने आदि की भी मांग की जाएगी। दलितों व अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार बंद करने के साथ ही पिछड़ों को 27 फीसद आरक्षण में कटौती बंद करने की मांग होगी।