सपा के वरिष्‍ठ नेता केपी यादव का निधन, अमेरिकी विश्वविद्यालय का आमंत्रण ठुकराकर चुनी थी सियासत

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जौनपुर। राजनीति में हुजूर व मजूर की परंपरा के विरोधी रहे वरिष्ठ सपा नेता डाक्टर केपी यादव का मंगलवार की सुबह लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। परिजनों ने उनकी मौत की वजह डेंगू के दौरान शुगर लेबल बढ़ने व किडनी फेल होना बताया है। परिजनों और करीबियों के अनुसार कुछ समय पूर्व वह स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी दिक्‍कतों की वजह से इलाज करवा रहे थे। कुछ दिनों से उनकी सेहत बिगड़ी तो सुधार न होने की वजह से देर रात तबीयत और बिगड़ने पर सुबह उन्‍हाेंने दम तोड़ दिया। सुबह उनके निधन की जानकारी होने के बाद परिजनों के साथ ही पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी मर्माहत हो गए। परिजन और करीबी जानकारी होने के बाद लखनऊ रवाना हो गए।

समाजवादी पार्टी के चमकदार चेहरों में केपी यादव का नाम एक बड़े चेहरे के तौर पर था। विद्वता से लेकर पार्टी के संगठन और जमीन तक पर काम को लेकर के पी यादव पर पार्टी ओ अधिक भरोसा था। जौनपुर जिले ही नहीं आसपास के क्षेत्रों में भी उनकी बेहतर पकड़ और सम्‍मान की वजह से पार्टी में उनकी अलग ही पहचान थी। उनके निधन से जौनपुर में समाजपादी पार्टी को बड़ी क्षति विधानसभा चुनाव 2022 से पहले मानी जा रही है। उनके निधन के बाद सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर अपनी श्रद्धांजलि दी है।

गो सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष जिले के धर्मापुर क्षेत्र के उतरगांवा के मूल निवासी डा. के पी यादव ने सन 1992 में एक अमेरिकी विश्वविद्यालय के आमंत्रण को ठुकराकर राजनीति की राह चुनी थी। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्रों के दूषित पानी को शुद्ध करने के फार्मूले की खोज कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा हासिल की थी। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव व उनके पुत्र सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबियों में शुमार केपी यादव के निधन से समाजवादी पार्टी ही नहीं अन्य दलों के लोग व जनपदवासी मर्माहत नजर आ रहे हैं। उनके अंत्‍येष्टि की तैयारियों के बीच पार्टी स्‍तर पर भी लोगों की जुटान सुबह से शुरू हो गई है।

वाराणसी में अंतिम संस्‍कार : जौनपुर के धर्मापुर-केराकत के मूल निवासी डा. केपी यादव बनारस में बृज इंक्लेव में आवास है। पार्थिव शरीर शाम पांच बजे सड़क मार्ग से जौनपुर स्थित आवास व पार्टी दफ्तर होते हुए बनारस लाया जाएगा। अर्दली बाजार स्थित पार्टी कार्यालय पर उनको श्रद्धांजलि दी जाएगी। इसके बाद मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।