सांसद प्रज्ञा सिंह की दो-टूक- एम्स के डायरेक्टर ने दिखाई दादागीरी, त्यागपत्र दें

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भोपाल । भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने शहर में स्‍थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. सरमन सिंह के आरोपों पर पलटवार किया है। सांसद ने कहा कि डायरेक्टर ने मेरा नाम लेकर दादागीरी दिखाई है। एम्स के डॉक्टर व कर्मचारियों को धमकाया है। डायरेक्टर को मेरी सलाह है कि यदि शांत रहेंगे तो उनके लिए अच्छा है और यदि गलत किया है तो स्वीकार करें और पद से त्यागपत्र दें। सांसद डीआरएम कार्यालय में यात्री सुविधाओं को लेकर बुलाई बैठक में हिस्सा लेने पहुंची थीं। जहां पत्रकारों ने पूछा था कि बीते दिनों प्रभारी मंत्री की समीक्षा बैठक में लगाए आरोपों को डायरेक्टर ने खारिज किया है, ऐसे में गलत कौन बोल रहा है। इस पर सांसद ने डायरेक्टर से इस्तीफे की मांग तक कर डाली है।

बता दें कि सबसे पहले सांसद ने 13 जुलाई को भोपाल के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में हुई विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में डायरेक्टर पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए थे। इस पर डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. सरमन सिंह पलटवार कर आरोपों को झूठा और आधारहीन बता चुके हैं। समीक्षा बैठक में लगाए गए आरोपों के संदर्भ में नवदुनिया से बातचीत में डॉ. सिंह ने कहा था कि वह रात में 11 बजे तक जनप्रतिनिधियों के फोन उठाते हैं। उन्हें एक पैसे की रिश्वत कभी नहीं ली है। भ्रष्टाचार के आरोप से वह हतप्रभ हैं।

एम्‍स अधीक्षक और डायरेक्टर के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद
डायरेक्टर सरमन सिंह ने गुरुवार को कहा था कि एम्स में कोरोना मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध होने के बाद भी अधीक्षक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने बिस्तर भरे होने का बोर्ड लगा दिया था। अस्पताल की व्यवस्थाओं के बारे में जनप्रतिनिधि उनसे क्यों नहीं पूछते। दरअसल, डायरेक्टर और अधीक्षक के बीच करीब साल भर से विवाद चल रहा है। इससे अस्पताल के कामकाज पर भी असर पड़ रहा है। अधीक्षक के पास खरीदी के अधिकार नहीं हैं। जरूरी खरीदी के लिए डायरेक्टर के पास फाइलें जाती हैं, लेकिन सामंजस्य नहीं होने की वजह से फाइलें अटकी रहती हैं। एम्स में मरीजों को डॉक्टरों के लिए दस्ताने तक खुद खरीदना पड़ रहे हैं। म्यूकरमाइकोसिस के मरीजों के लिए एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं हो पाया था। इसकी शिकायत मरीजों के स्वजन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक की थी। सांसद के पलटवार पर डायरेक्टर ने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।

सांसद ने यह कहा
– किसी भी बात को कहने या आरोप लगाने के पहले उस बात के प्रमाण होने चाहिए।
– मुझे जानकारी मिली कि डायरेक्टर मेरे नाम का उपयोग कर धमका रहे थे, तब मैंने उन्हें एक नोटिस भेजा।
– मैंने तो उनकी सीडी भी देखी है, कई लोगों ने उनकी सीडी बनाई है।
– डायरेक्टर ने अजीब परिस्थितियां पैदा कर दी थीं। वे गायब थे। जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठा रहे थे।

– मेरी और डायरेक्टर की रिकार्डिंग निकाल ली जाए और देखा जाए। किसने क्या बोला है।