एससीओ में भारत ने बताई अपनी ताकत, विदेश मंत्री ने द्विपक्षीय मुद्दे उठाने के लिए पाकिस्तान पर साधा निशाना

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नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद जहां दुनिया के कई देश अभी तक आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं वहीं भारत सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के तौर पर स्थापित हो रहा है। अब भारत ने इसे वैश्विक मंचों पर बताना भी शुरू कर दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों की सरकारों के प्रमुखों की गुरुवार को हुई बैठक में भारत को वैश्विक स्तर पर उभरती हुई आर्थिक शक्ति के तौर पर चिह्नित किया।

बैठक में चीन, पाकिस्तान, रूस समेत 10 देशों के शासन प्रमुख थे। विदेश मंत्री ने भारत की आर्थिक संभावनाओं का जिक्र करते हुए यह भी संदेश दिया कि वह एससीओ क्षेत्र में महत्वपूर्ण वैश्विक कनेक्टिविटी परियोजनाओं को लागू करने व सहयोग करने को प्रतिबद्ध है।

जयशंकर ने पाकिस्तान की तरफ से इस तरह के सम्मेलन में कश्मीर मुद्दे को उठाने की परोक्ष तौर पर ¨नदा की, लेकिन उनके भाषण के केंद्र में भारत की आर्थिक प्रगति ही रही। जयशंकर ने कहा कि भारत एससीओ को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह मानता है, जो अंतरराष्ट्रीय शासन, पारदर्शिता और बराबरी के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देगा।

यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि कुछ देश इस मंच पर द्विपक्षीय मुद्दे को उठा रहे हैं। यह एससीओ के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ है। यह सदस्य देशों के बीच सहमति बनाने व विकसित करने के खिलाफ काम कर सकता है। इसी तरह से जयशंकर ने वैश्विक संपर्क परियोजनाओं को लागू करने की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाने और इसमें दूसरे देशों की संप्रभुता का आदर करने की बात कही।

भारत का यह पुराना रुख है और इसे सार्वजनिक मंच पर उठा कर वह चीन की तरफ से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की तरफ इशारा करता है। सीपीईसी का एक हिस्सा कश्मीर से गुजरता है, जो अभी पाकिस्तान के गैर कानूनी कब्जे में है।

जयशंकर ने कहा कि कोरोना के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में स्थायित्व काफी महत्वपूर्ण है। आइएमएफ ने वर्ष 2021 में भारत की आर्थिक विकास दर 9.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। भारत का निर्यात 20 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। कोरोना के बावजूद भारत ने वर्ष 2020-21 में 77 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत पहले स्थान पर है।

भारत में 65 यूनीकार्न (एक अरब डालर से ज्यादा कारोबार वाली स्टार्ट अप कंपनियां) स्थापित हो चुके हैं। हम इस बारे में अपने अनुभव एससीओ के सदस्यों से साझा करने को तैयार हैं। चाबहार पोर्ट विकसित करने को लेकर भी उन्होंने भारत की प्रतिबद्धता जताई और कहा कि एससीओ देशों को सामान्य व डिजिटल कनेक्टिविटी से जोड़ने को लेकर भी भारत प्रतिबद्ध है।