हरीश की जांच,त्रिवेंद्र को नही आंच! जब स्टिंगकर्ता एक तो कार्यवाही अलग क्यों?

0
631

देहरादून।। प्रदेश के राजनैतिक सन्नाटे में आजकल स्टिंग शब्द गूंज रहा है। एक तरफ जहां भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कथित स्टिंग प्रकरण में सीबीआई द्वारा उनकी संभावित गिरफ्तारी को लेकर आक्रामक है, वहीं कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों के कथित स्टिंग की जांच की मांग करके हमलावर तेवर अपना लिए हैं।

दरअसल हरीश रावत का 2016 में एक कथित स्टिंग सामने आया था। तबसे इसकी जांच कर रही सीबीआई अब ढाई साल बाद अचानक नींद से जागकर नैनीताल उच्च न्यायालय पहुंची है। जांच एजेंसी ने न्यायालय को बताया की वो उक्त प्रकरण की प्रारंभिक जांच पूरी कर चुकी है, लिहाज़ा उसको अब श्री रावत को गिरफ्तार करना है। उच्च न्यायालय ने इसकी सुनवाई के लिए 20 सितंबर की तारीख तय की है।

उधर सीबीआई के इस कदम से राज्य में सियासत का पारा चढ़ गया है। कांग्रेस का आरोप है की जिस स्टिंगकर्ता ने हरीश रावत का स्टिंग करने का दावा किया था उसी ने विगत दिनों मुख्यमंत्री के भाई और भतीजे का स्टिंग भी प्रसारित किया है। पहले प्रकरण में तो भाजपा सरकार ने हरीश रावत की सीबीआई जांच कराई और स्टिंग करने वाले पत्रकार को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान की। लेकिन जैसे ही उसी पत्रकार का खुफिया कैमरा मुख्यमंत्री के परिवार तक पहुंचा तो वही पत्रकार भाजपा की नज़र में ब्लैकमेलर हो गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया की मुख्यमंत्री के दवाब में उस स्टिंग करने वाले चैनल के सीईओ पर मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेजा गया। कांग्रेस का आरोप है की जब दोनो प्रकरणों में स्टिंगकर्ता एक है, तो कार्यवाही अलग क्यों?

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा भाजपा सरकार बदले की राजनीति के तहत कांग्रेस के नेताओं को प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने कहा की हरीश रावत निर्दोष हैं यदि उनको गिरफ्तार किया गया तो कांग्रेस के कार्यकर्ता प्रदेश में जेल भरो आंदोलन चलाएंगे।